ये कैंसी अभिव्यक्ति है, ये कैसी आज़ादी
ये कैंसी अभिव्यक्ति?,ये कैसी आज़ादी है?
व्यक्तिगत मामला बता रहे, पिटवा रहे मुनादी है
भले किसी को ठेस लगे,चाहे किसी का गला कटे
भड़क जाएं दंगे दुनिया में,चाहे लाशों से धरा पटे
आहत हों जन भावनाएं, सीमा रेखाएं मिटे
सड़कों पर हो जाए बवाल,चाहे कहीं भी आग लगे
देख कर उनकी अभिव्यक्ति,हम तो रह गए ठगे ठगे
चल रही थी जोर की आंधी, तुमने आग लगा दी
ये कैंसी अभिव्यक्ति है? ये कैसी आज़ादी?
व्यक्तिगत मामला बता रहे, पिटवा रहे मुनादी