ये कलियाँ हसीन,ये चेहरे सुन्दर
ये कलियाँ हसीन,ये चेहरे सुन्दर।
यह इनकी अदाएं, यह इनकी नजर।।
आग लगाकर और प्यास जगाकर।
हो जाती है दूर, ये दीवाना बनाकर।।
ये कलियाँ हसीन———————।।
ये मिलती है पहले, छुपकर सबसे।
करती है वादें , निभाने को दिल से।।
जब बढ़ता है प्यार, हद से ज्यादा।
करती है किनारा, बहाना बनाकर।।
ये कलियाँ हसीन———————।।
बनाने को आशिक, फैलाती है जुल्फें।
फंसाने को दिल, मिलाती है आँखें।।
दौलत की भूखी, महलों की प्यासी।
करती है जुल्म, प्यास अपनी बुझाकर।।
ये कलियाँ हसीन———————-।।
बदलती है पल में, साथी ये अपना।
करती है बर्बाद, बनाकर खिलौना।।
करती है खूं दिल का, धोखा देकर।
लड़ाती है आपस में, झगड़ा कराकर।।
ये कलियाँ हसीन———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)