ये इश्क, है बस बेवकूफ़ी l
ये इश्क, है बस बेवकूफ़ी l
जालिम है, है लगता सूफी ll
चल चल, जिन्दगी जलाती है l
चमकती, है खोटी अशर्फी ll
ये इश्क की, रसोई कैसी l
बाबर्ची, दे कड़वी बर्फी ll
बस एक से ही, चिपका रहा l
कभी ना बन पाया, मुसफ्फी ll
यह जिंदगी, न होती काफी l
अमल लाना, प्यास फिलासफी ll
ये इश्क, है बस बेवकूफ़ी l
जालिम है, है लगता सूफी ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न