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9 Jun 2019 · 1 min read

ये आरजू नहीं है ,किसी को भुलाये हम —आर के रस्तोगी

ये आरजू नहीं है,किसी को भूलाये हम |
ना तमन्ना है किसी को रुलाये हम ||

पर दुआ है ख़ुदा से बस एक यही |
जिसको याद करते है,उसको याद आये हम ||

भुलाने को भूली जा सकती है ये दुनिया |
पर भूल कर भी न किसी को भूलाये हम ||

सताया है जितना हमे क्या भूल जाये हम |
करती हूँ इबादत ख़ुदा से,न वे सताये हम ||

बे बुलाये जो चले आते है,होता नहीं खैर मकदम |
खैर मकदम होगा तभी जब उनको बुलाये हम ||

अहसान कर उस बन्दे का जो खाता तेरे दस्तरखान पर |
ख़ुदा दे रस्तोगी को इतना जो सबको कहना खिलाये हम ||

आर के रस्तोगी

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