*ये आखिरी खत तेरे नाम है*
ये आखिरी खत तेरे नाम है
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ये आखिरी खत तेरे नाम है,
यही बात कह दी सरेआम है।
कभी दिया नहीं जवाब भी,
इसलिए ले लिया विराम हैं।
मेरे ये भाव मेरे मन में ही रहे,
आए न कभी किसी काम हैं।
तेरी गलियों में आते जाते रहे,
दे दिया कदमों को विराम है।
दे दी नसीहत हुई फजीहत,
अब तुम्हे उम्र भर आराम है।
बसते रहो आबाद मनसीरत,
तुझे मेरा ये अंतिम पैगाम है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)