*ये आँखें तेरी कत्लखाने से कम नहीं*
18.8.17 **** प्रातः **** 7.58
ये आँखे तेरी किसी कत्लखाने से कम नहीं है
अगर मर जायें तुझपे तो अब हमें ग़म नहीं है ।।
?मधुप बैरागी
अब मयखाने जाकर मय पीने की तलब किसको है
तेरी आँखों के पयमाने मय- तहख़ाने से क्या कम है ।।
?मधुप बैरागी