ग़ज़ल (ये अन्दाज़ अपने निराले रहेंगे)
ये अन्दाज़ अपने निराले रहेंगे।।
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हाथों में मुस्काते छाले रहेंगे।
ये अन्दाज़ अपने निराले रहेंगे।।
वादा करो साथ देने का साहिब।
तो पतवार हम भी सम्हाले रहेंगे।
खुलकर मिलो जो हँसीं वादियों में।
हम तुम जहाँ में निराले रहेंगे।।
तूफां जो चाहे हमें आज़मा ले
बाहों में हम बाहें डाले रहेंगे।।
कोमल गुलाबों सा हो भाव मन का।
काँटे भी हमको सम्हाले रहेंगे।।
मीठी- सी लिक्खेंगे हम प्रीत पाती।
पन्नों मेंअश्कों के प्याले रहेंगे।।
मुहब्बत की ख़ुश्बू महकती रहेगी।
फ़ज़ाओं में हम हुस्न वाले रहेंगे
क़दम चूमती मंजिलें “रागिनी” की।
भीगे जो श्रम से निवाले रहेंगे।।
डॉक्टर रागिनी शर्मा,इंदौर