Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Oct 2021 · 1 min read

ये अधूरा इश्क हमें रास न आया…

आधा चांद आसमान पर ,
शोभा दो देता है ।
आधा ढका रूप भी गोरी ,
का सुहाना लगता है ।
आधा भरा पैमाना भी ,
कुछ कुछ नशा देता है ।
यह सब मन को पूर्ण संतुष्ट ,
तो नहीं करते ,मगर करते तो है ।
मगर आधा अधूरा प्रेम ,
मन और जीवन को पूर्णतः संतुष्ट ,
नहीं करता ।
तुम ने प्रतीक्षा तो करवाई ,
पूर्ण एक मास की ,
और देने आए हमें बस एक ,
पूर्ण मासी तक का प्रेम।
रास लीला रचाई तुमने ,
बस कुछ पल की ।
हम आनंदित तो हुए ,
मगर पूर्णतः संतुष्ट न हुए ।
क्योंकि उसके पश्चात तुम ,
हमें अनिश्चित अंतराल का ,
लंबा इंतजार दे गए ।
हमें तुमने जुदाई की
काफी लंबी अंधेरी गुफा में,
डाल दिया ।
कुछ पल की चांदनी रात और ,
इतनी लंबी वियोग की उम्र ।
यह तुमने कैसा अन्याय किया ।
कान्हा !! तुमने हमें आधा प्रेम देकर ,
अंतहीन प्रतीक्षा में क्यों डाल दिया?
बोलो कान्हा ! तुमने ऐसा क्यों किया?

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 199 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all

You may also like these posts

लगातार अथक परिश्रम एवं अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण से
लगातार अथक परिश्रम एवं अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण से
Rj Anand Prajapati
संवेदना की आस
संवेदना की आस
Ritu Asooja
सकारात्मकता
सकारात्मकता
Sangeeta Beniwal
अभी कहाँ विश्रांति, कार्य हैं बहुत अधूरा।
अभी कहाँ विश्रांति, कार्य हैं बहुत अधूरा।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मुलाकात
मुलाकात
sheema anmol
आप और हम
आप और हम
Neeraj Agarwal
*गलतफहमी*
*गलतफहमी*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
सत्य की खोज
सत्य की खोज
लक्ष्मी सिंह
मैंने जलते चूल्हे भी देखे हैं,
मैंने जलते चूल्हे भी देखे हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कोमल अग्रवाल की कलम से ' इतना सोचा तुम्हें '
कोमल अग्रवाल की कलम से ' इतना सोचा तुम्हें '
komalagrawal750
- उगते सूर्य को करते सब प्रणाम -
- उगते सूर्य को करते सब प्रणाम -
bharat gehlot
3620.💐 *पूर्णिका* 💐
3620.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*नव वर्ष पर सुबह पाँच बजे बधाई * *(हास्य कुंडलिया)*
*नव वर्ष पर सुबह पाँच बजे बधाई * *(हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
चले शहर की ओर जब,नवयुवकों के पाँव।
चले शहर की ओर जब,नवयुवकों के पाँव।
RAMESH SHARMA
जितनी तेजी से चढ़ते हैं
जितनी तेजी से चढ़ते हैं
Dheerja Sharma
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
नेह के परिंदें
नेह के परिंदें
Santosh Soni
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कोई यहां अब कुछ नहीं किसी को बताता है,
कोई यहां अब कुछ नहीं किसी को बताता है,
manjula chauhan
पत्थर को भगवान बना देते हैं
पत्थर को भगवान बना देते हैं
कवि दीपक बवेजा
धवल बर्फ की झीनी चादर पर
धवल बर्फ की झीनी चादर पर
Manisha Manjari
आम
आम
अनिल कुमार निश्छल
राना दोहावली- तुलसी
राना दोहावली- तुलसी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ग्रुप एडमिन की परीक्षा प्रारंभ होने वाली है (प्रधानाचार्य इस
ग्रुप एडमिन की परीक्षा प्रारंभ होने वाली है (प्रधानाचार्य इस
Ashwini sharma
"कलम का संसार"
Dr. Kishan tandon kranti
तेरे जागने मे ही तेरा भला है
तेरे जागने मे ही तेरा भला है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
👌आज का शेर👌
👌आज का शेर👌
*प्रणय*
*खूबसूरत ज़िन्दगी*
*खूबसूरत ज़िन्दगी*
शिव प्रताप लोधी
प्यार या तकरार
प्यार या तकरार
ललकार भारद्वाज
यह नफरत बुरी है ना पालो इसे
यह नफरत बुरी है ना पालो इसे
VINOD CHAUHAN
Loading...