यूं ही कुछ लिख दिया था।
यूं ही कुछ लिख दिया था,
मैनें तुम्हारे बारे में,,,
मुझे क्या पता था,
तुम बदनाम हो जाओगे!!!
बेखबर था उस गुनाह से,
जो मुझसे हुआ है अन्जानें में,,,
किसी को ना पता था,
उसकी सजा तुम पाओगे!!!
हो सके तो माफ कर देना,
तुम मुझे नादां समझकर,,,
वर्ना हर वक्त तुम मुझे,
ख्यालों में आकर तड़पाओगे!!!
वकार में बर्फ से उजले,
बड़े आला हो तुम,,,
यूं फालतू की अफवाहों से,
तुम ना रुसवा हो पाओगे!!!
ताज मोहम्मद
लखनऊ