— यूं गम न कर —
किस बात के लिए गम
करता है रे इंसान
किस चीज के लिए तू
मरता है रे इंसान !!
कुछ जब साथ लाया नही
साथ लेकर जाना नही
फिर क्यूं अपने को
चिता में जलाता रहा इंसान !!
चिंता करेगा, वो बढ़ेगी
किसी से कहेगा ,क्या घटेगी ?
कोई नही अपना है ,
खुद ही तो मरेगा रे इंसान !!
संगी साथी घर परिवार
सब हैं तेरे स्वांसो के द्वार
जहाँ टूटी , सब बिखर जायेगी
कहाँ बचेगा तू रे इंसान !!
रब को कर याद ,जो है निज धाम
यहाँ तो है दिखावे का संसार
मत कर आगे की चिंता
बस तू आज जी ले रे इंसान !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ