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21 May 2021 · 1 min read

यूँ ही

ज़र्रा ज़र्रा खिताब दे आया
ज़िन्दगी को जवाब दे आया

महक उठे ज़िन्दगी सबकी
प्रेम का वो सैलाब दे आया

एक मीठी सी हंसी लब पे रहे
ऐसा पुरनूर ख्वाब दे आया

लफ्ज़ हैं,शेर हैं,अश्यार भी हैं
इश्क़ की वो किताब दे आया

महकी है चांदनी खिज़ाओं में
इक हसीं माहताब दे आया

झीने पर्दे से सजी है महफ़िल
प्यार का वो हिज़ाब दे आया

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