#रुबाइयाँ
यूँ ही नहीं उतर जाता है ,कोई दिल-क़ाशाने में।
एक हुनर तो होता ही , उसके भी अफ़साने में।।
पैग़ाम हवाएँ लायी हैं , लिए सनम की परछाई;
छेडें पलपल मुझको छूकर , लगी हुयी रीझाने में।।
मंगलसूत्र मान होता है , इक विवाहिता नारी का।
मंगलसूत्र शान होता है , मंगल देश ख़ुमारी का।।
मोती मनकों की माला-सम , रहें सभी हम मिले-जुले;
आशीष मिले ऐसा हमको, इस कायनात सारी का।।
ऊपर फैंकी गेंद सदा ही , नीचे को ही आती है।
शोहरत मिले भूल न जाना , सीख यही सिखलाती है।।
प्रेम हमेशा अमर रहेगा , इसको मत कभी भुलाना।
चातक की प्यास सदा जैसे , बारिश बूँद बुझाती है।।
#आर.एस.’प्रीतम’