यूँ ही तो नहीं होता
यूँ ही तो नहीं होता,
आँखों में खालीपन,
दिल में एकाकीपन,
कुछ तो वजहें रहती होंगी,
उमीदों के मर जाने की,
सन्नाटे के पसर जाने की,
दबी आशाएँ,आक्रोश,
धारण करती हैं जब चुप्पी का रूप,
मरता है इंसान धीरे धीरे अंदर से,
घुटन लेती है जब विकराल आकार,
ख़ामोशी चुपके से पांव है पसारती,
खतरनाक है मर जाना अंदर से
जीवित रहना खाली आंखे और दिल लिए,
भावनाओं का श्मशान लिए,
खतरनाक है मर जाना अंदर से,
खोखला हो जाना भीतर से,
जीवित रहना खाली दिल और दिमाग लिए …….