यूँ हर रोज़
यूँ हर रोज़
एक रात होती है
बेसब्री से इंतजार होता है
तुमसे मुलाकात का ख्वाबों में..
होगा हाथों में मेरे हाथ तुम्हारा
कांधे पे तुम्हारे सर मेरा होगा
बहुत सी बातेँ होंगी,
इज़हार ए मोहब्बत होगा
होंगे कुछ वादे, कुछ वादों का
इम्तिहाँ होगा,
पर अब
आँखों में ही रात गुज़र जाती है
तुम नहीं होती,
यादें तुम्हारी साथ होती हैं
तुम तो नहीं होती, पर मैं अब भी
इंतजार करता हूँ रात का , तुम्हारा भी
हिमांशु Kulshreshtha