यूँ तो बिखरे हैं
यूँ तो बिखरे हैं
हज़ारों हजार रंग आसमाँ में
मेरी दुनियाँ में बिखेरे
थे जो रंग तुमने,
पूरी कायनात में मुझे
नज़र कहीं आते नहीं
हिमांशु Kulshrestha
यूँ तो बिखरे हैं
हज़ारों हजार रंग आसमाँ में
मेरी दुनियाँ में बिखेरे
थे जो रंग तुमने,
पूरी कायनात में मुझे
नज़र कहीं आते नहीं
हिमांशु Kulshrestha