यूँ तो कहने को हम तुम्हारे थे
यूँ तो कहने को हम तुम्हारे थे
रास्ते पर जुदा हमारे थे
गर्दिशों में कभी सितारे थे
हौसले ही बने सहारे थे
बीच मझदार में फ़ँसे थे पर
ढूँढ़ हमने लिये किनारे थे
दोस्तों के गले लगे जाकर
बोझ कुछ दिल के यूँ उतारे थे
आप थे साथ में हमारे जब
बस बहारों के ही नज़ारे थे
आज गुमनामियों ने घेरा है
नाम के अपने भी सितारे थे
‘अर्चना’ हौसला नहीं कम था
अपनों से जानकर ही हारे थे
18-02-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद