यूँ जीवन में प्यार बहुत है,
यूँ जीवन में प्यार बहुत है,
मिले जो थोड़ा यार बहुत है ।
प्यास हमारी मिट जाएगी,
मन सरिता की धार बहुत है ।
एक तुम्हारे बिन ही साथी,
रहता मन बीमार बहुत है ।
निज बसंत की बात बताऊँ,
पतझड़ का ही भार बहुत है ।
मैं रचना को पढ़-लिख जाना,
कविता में शृंगार बहुत है ।
नहीं प्रेम अब दिल से मिलता,
यूँ तो मिला उधार बहुत है ।