यूँ अपना हमें हमसफ़र कीजिये
रहें साथ हम वो डगर कीजिये
यूँ अपना हमें हमसफ़र कीजिये
इनायत कभी तो इधर कीजिये
हमारी तरफ़ इक नज़र कीजिये
किसी ने चुराया अभी दिल मेरा
पता कुछ लगे तो ख़बर कीजिये
समझना अगर दर्दे-उल्फ़त है क्या
किसी के भी दिल में तो घर कीजिये
अभी दीजिये इम्तिहां और भी
अभी और कुछ पुरख़तर कीजिये
अभी एक पलड़ा उठा कुछ हुआ
अभी वज़्न सारा उधर कीजिये
अभी आर या पार होगी यहाँ
भले आज पूरी कसर कीजिये
बचानी तुम्हें जान उनकी अभी
करो जो भी करना मगर कीजिये
जलाओ भी दीपक जहाँ तीरगी
उजालों को सबकी नज़र कीजिये
बहाकर के नदियाँ यहाँ प्यार की
सभी नफ़रतों को सिफर कीजिये
रहे नामे-आनन्द रौशन सदा
कोई काम ऐसा तो पर कीजिये
– डॉ आनन्द किशोर