युवा वृद्ध का द्वंद युद्ध
युवा वृद्ध का द्वंद युद्ध, क्यों होत है यार।
विचार क्यों मिलता नहीं, संग्राम होत है यार।
चिंतन करता विजय बैठ,कारण क्या है यार।
क्या ,युवा समझे वृद्ध को ,पंगु बेबस लाचार।।
द्वी मिलकर चर्चा करें ,घर म रहे संस्कार।
समझ सको एक दुजे को,मंथन करो विचार।।
युवा जितना पढ़ा नहीं, बुजुर्ग देखा संस्कार।
युवा वृद्ध का द्वंद युद्ध,क्यों होत है यार।।
लगती बात बुरी युवा को,भरा पड़ा है जोश।
युवा शक्ति ले चले प्रबल,रहे हृदय न होश।।
दुर दृष्टि, कड़ी मेहनत,ले इरादा वृद्ध।
कंटक वन में,न जाने, अनुभव देता सिख।।
जोश होश का हो मिलन, मजा देखो यार।
युवा वृद्ध का द्वंद युद्ध क्यों होत है यार ।।
युवा शक्ति, वृद्ध अनुभव,मिल करिहैं कुछ काम।
सफल होइहैं जीवन में, विजय होइहैं नित काम।।
राह रोकते,देख वृद्ध को, युवा करते हैं रोश।
ठंडे दिल से विचारिये,हृदय राख कुछ होश।।
मैंने देखा दिल टटोल,हृदय से करता प्यार।
न भटके राह युवा मेरा,फुल बिछाते हैं यार।।
युवा वृद्ध का हो मिलन,संकट कटे भरमार।
युवा वृद्ध का द्वंद युद्ध क्यों होत है यार।। में
विनित कवि
डां विजय कुमार कन्नौजे अमोदी वि खं आरंग जिला रायपुर छत्तीसगढ़