युवा अंगार
युवा अंगार –
युग अभिमान मानव मानवता स्वाभिमान पल प्रहर मूल्य महान का संग्राम।।
गर्जना मात्र से कंपन भूचाल क्रान्ति की चिंगारी ज्वाला अंगार हुकार कराल विकट विकराल पूर्णता पराक्रम शंखनाद।।
भय मुक्त निर्भय उन्मुक्त राष्ट्र प्रेम स्वन्त्रता की चेतना जागृति गूंज का गगन भेदी गगनगूँज का भाव अंदाज़।।
भाग्य भगवान् की आत्म सत्ता सत्य सत्यार्थ बोध का पुरुषार्थ मतवाला धुन ध्यान का निराला पथ का पथिक चुनौती वर्तमान भविष्य इतिहास निर्माण।।
काल कलेवर वीरता दृढ़ता का प्रबल प्रवाह निराशा तोड़ता अंधेरों को चिरता कायरता को ललकाराता परम प्रखर प्रकाश।।
साहस का सत्कार शौर्य का पुरस्कार युग की दिशा दृष्टि का विश्वास ।।
हृदय में हुक गुलामी की वेदना आंधी अस्मत अस्तित्व की पुकार. मूक दासता की कमजोरी
छटपटाहट ईश्वर आत्म शक्ति का तिरस्कार।।
अवसान तमस का होता जब युवा ओज तेज जीवेत जागृतम का हुंकार।।
हर संसो धड़कन से उठता एक स्वर कायर नहीं कमजोर नहीं आहत अस्मत की ललकार।।
उत्तेजित नहीं, पथ भ्रष्ट नहीं शास्त्र शत्र संस्कृति संस्कार की अवनी पर स्वन्त्रता का युग अवाहन प्रेरणा पुरुषार्थ।।
हे युग युवा उठो ना करो विश्राम तुम्हें बदलना होगा विकृत मानवता के रूप को कर युवा ओज शृंगार।।
साहस शक्ति की हस्ती का अभिमान सम्मान स्वाभिमान धरती और आकाश।।
स्वच्छद धैर्य के धारण का होगा राष्ट्र युग निर्माण वीरता धीरता धन्य धरोहर प्रेरणा वर्तमान।।
प्रसंग परिणाम पुरुषार्थ का भविष्य संस्कार त्याग बलिदान धरती की स्वतंत्रता का पथ पथिक युग साम्राज्य युग मिशाल मशाल हर युवा आज।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।