युवक की जिंदगी
एक बार घर से निकला युवक कभी अच्छे से घर लौट ही नहीं पाता …. साल दर साल अलग-अलग रूपों में पहुंचता है विश्वविद्यालय छात्र के रूप में, प्रतियोगी छात्र के रूप में, संघर्ष के दौरान बार-बार असफल होने वाला बेरोजगार छात्र के रूप में, फिर नौकरी करने वाला, और अंत तक नौकरी से मिली कुछ दिनों कि छुट्टी व्यतीत करने वाले युवक के रूप में पहुंच पाता है।
एक बार छात्र जब बारहवीं के बाद घर से निकलता है बड़े शहर में पढ़ाई करने, एक अच्छे और उत्तम भविष्य की तलाश में तो वह सिर्फ बड़े शहरों का होकर रह जाता है। जब शहर में रहना शुरू करता है तो पहले वर्ष वह घर जाने के अलग-अलग बहाने ढूंढता है और उन बहानों के चलते वह घर चला जाता है। और जैसे-जैसे समय बीतता है धीरे-धीरे घर से दूरियां बढ़ने लगती है। और फिर शुरू होता है सफलता और असफलता के बीच घर से दूर होने का खेल कई बार लगता है इस बार, इस त्यौहार नहीं जाते हैं| क्योंकि आगे पीछे कई सारे एग्जाम लगे होते हैं और छात्र अपने मन को यह कह कर मना लेता है कि इस बार सिलेक्शन हो जाए अगले त्यौहार पर चलेंगे। इस बीच भर्तियों का आना जाना और परीक्षा में देरी होना आदि चीजें लगी रहती है और हम इन सब के बीच घर से दूर होते चले जाते हैं। और हम लड़के भी बेटियों की तरह पराए हो जाते हैं जो सिर्फ त्योहारों पर होली, दीपावली, रक्षाबंधन पर घर का रुख मुश्किल से करते हैं। हर बार छात्र यही सोचता है एक बार सिलेक्शन हो जाएगा तो अच्छे से होली दीपावली रक्षाबंधन सेलिब्रेट करेंगे। और अंततः वह समय छात्र के जीवन में आता है लेकिन नौकरी के बाद उसके देखे गए सपने सपने ही रह जाते फिर वह जिंदगी अपनी नहीं रह जाती हर बार घर जाने के लिए अपने कार्य क्षेत्र में छुट्टी की अर्जी लगाकर गिड़गिड़ाना पड़ता है उसके बाद कहीं जाकर मुश्किल से दो-चार दिन की छुट्टी मिल पाती है और इन सब दौड़ के बीच न जाने कब हम घर से बेघर हो जातें हैं।
इसीलिए कहते हैं वर्तमान में जियो, वर्तमान में जीते हुए वर्तमान के जीवन में सामंजस्य बैठाकर जब भी घर जाने का अवसर मिले जरूर जाएं अन्यथा एक दिन घर लौटने के लिए आपके पास सब कुछ होगा । पैसा होगा, एक अच्छी नौकरी होगी और खूब सारा मन होगा लेकिन फिर भी आप घर के लिए लौट नहीं पाएंगे क्योंकि आपको छुट्टी समय पर नहीं मिलेगी।