युद्ध!
सनकी शासकों की सनक से उपजता है, युद्ध,
जन जीवन का जीना होता है मुहाल,
आबादियों की बस्ती में ,
हो रही है बमबारी बेहाल,
मलवे के ढेर में,
तब्दील होकर रह गया है जानमाल!
सनकी शासकों की सनक में,
युद्ध के उन्माद में,
आम जन बदहवास है,
बेतरतीब पड़ी हैं लासें,
भुख है-प्यास है,
अस्पताल भी हैं इसकी जद में,
प्रयाप्त नहीं इलाज है!
सनकी शासकों की सनक में,
इन्सानों का नहीं कोई मोल ,
नाक रहे अपनी ऊंची,
हांक रहे बड़े बड़े बोल,
जिनके बल पर हैं सत्ता में,
वर्षा रहे हैं उन्हीं पर गोल,(गोला बारूद )!
सनकी शासकों की सनक में,
आम जन है भ्रमित ,
धर्म संप्रदाय की बात कर,
औरों को करते हैं प्रेरित,
धर्म से इनका नहीं कोई वास्ता,
सत्ता के लिए हैं चुने गए,
सत्ता ही इनकी मंजिल का रास्ता!!
आज विजय दशमी के अवसर पर, ईश्वर इन्हें सद्बुद्धि दे और नरसंहार का भूत इनके दिलों दिमाग से बाहर निकल सके तो तभी रामराज्य का सपना साकार हो सकेगा!
शुभकामनाओं सहित सादर अभिवादन ।