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26 Apr 2023 · 1 min read

युद्ध रानी

बचपन उसका निराला
छोटी एक सुकुमारी थी
फूलो सी खिलती जाती
भागीरथी की प्यारी थी 1
भारत मां की मिट्टी से जनि,
वो एक चिंगारी थी
सूरज सी ऊर्जा वाली,
वो एकल हिंदू नारी थी 2
सुन सुन कर युद्ध गाथाएं
पाई उसने जवानी थी
ज्ञान ,धर्म, वेद,पुराण
वो नीति प्रखर वाली थी 3
गंगा मां की गोद में पली
वो काशी की ब्रह्मानी थी
कुरुक्षेत्र के हुए युद्ध की
दुहराई वो एक कहानी थी 4
खूब लड़ी मर्दानी वो तो
झांसी वाली रानी थी। 5
युद्धक्षेत्रे
गड़ गड़ गड़ गड़ घोड़े बाजे
हुआ काल का साया था
भुजा तान जब उसने
अपना तलवार चमकाया था II1II
सूर्य उसके आंखों में धधके
तलवार आसमां में कड़के
चीख उठी शत्रु सेना
अभी तो तिलक लगाया था
फिर से उसने धरा को
रक्त पान कराया था II2II
पायल की घुंघुरू बिखरी
जैसी शत्रु शीश बहे
रक्त की, नदियां छोड़ो
सागर का मेल भए II3II
कोई कहे वो अबला है
कहे कोई वो रानी
जब जब शत्रु खंजर सहे
बोले, वो मर्दानी है। II4II
उखाड़ दिया हर भुजा को धड़ से
जो झांसी की ओर उठी
कुचला शत्रु फन को उसने
बेखौफ ,वो खूब लड़ी II5II
रणचंडी वो भद्रकाली वो
बाल उदर वो मातृ थी
जो थी रानी लक्ष्मी बाई
वो ही रुद्र नारी थी II6II

Language: Hindi
200 Views
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