युद्ध गीत
गीदड़ भभकी कब तक देंगे ।
अब तो शीश धरा पे बिछायेगे ।।
पौरूष अब दिखाना होगा ।
रक्त रगों में खोलाना होगा ।।
कायर को अवसर देने से ।
कायरता ही दिखलायगा ।।
सिर के ढेर लगे सीमा पर ।
दुश्मन रक्त रंजित हो जायेगा ।।
तब ही टीस मिटे हृदय की ।
कटे सिरों पर कब तक नीर बहायेगे।।
प्रीत लगाकर छुरा भोगना ।
दुश्मन की फितरत है पुरानी ।।
सर्जिकल से अब नहीं बनेगी बात ।
खत्म करनी होगी अब तो कहानी ।।
अविरल बहते नीर नयन से ।
बिधवाओ की कौन सुनेगा पीर ।।
निर्दोषो की मौत का मातम ।
कब तक यूँ ही मानायेगे ।।
समसीरो की जंग छुड़ाकर ।
ध्वजा विजय की हाथ में लेकर ।।
दुश्मन के सीने पर चड़कर ।
हिसाब बराबर करने होंगे ।।
कोटि कोटि हृदयो की पीड़ा ।
शीश धरा पर बिछाने होंगे ।।
गर पड़ जाये बलिदानी कम तो।
बच्चे बच्चे सैनिक बन जायेंगे ।।
कुछ तो कदम बड़ाने होंगे ।
कठिन फ़ैसले करने होंगे ।।
रहता जिंदा वही देश है ।
युद्ध से जो न डरता हो ।।
अगर मगर की बातें छोड़ें ।
युद्ध गीत अब हम गायेंगे ।।
उमेश मेहरा
गाडरवारा (मध्य प्रदेश)
9479611151