युद्ध के दौरान……
युद्ध के दौरान
टकराती है दो अहंकार भरे दिमाग
टकराती है दो सिरों की ताज
फूटते हैं बम बारूद गोले
बिखरते हैं सिर्फ़ अंगार शोले
कौड़ियों के दाम लोगों की जान होती है
इंसानियत ये देख हैरान होती है।
युद्ध के दौरान
कहने को तो दो देशों के सैनिक लड़ते हैं
दर-असल दो माँओं के संतान भिड़ते हैं
दो बहनों के भाई की कलाई छिनती है,
दो बच्चों के सर से पिता का साया उजड़ता है
दो प्रेमिकाओं के दिल से प्यार बिछड़ता है
दो सताधीशो के सनक में कई परिवार बिखरता है
युद्ध के दौरान
देखी जाती है अंतरराष्ट्रीय नियमों की नियमावली
देखी जाती है तबाही की समाचार गली-गली
पर कौन देखता है चिथड़े पड़े शरीर
पर कौन देखता है मासूमों की फूटी तक़दीर
कहाँ ऐंठतीं अंतड़ियो का अंदाज़ा लगाया जाता है
कहाँ सुखी आँखो की फ़रियाद सुनाया जाता है।
युद्ध के दौरान….!