युद्ध का ग्यारहवाँ दिन था
युद्ध का ग्यारहवा दिन है
तबाही ही तबाही है
दुश्मनी ही दुश्मनी है
हर तरफ बम बरस रहे है
लोग खाने को तरस रहे है
ए आदम की औलाद
क्या समझ रहा है खुद को
तेरा वजूद चुटकीयों
मे मसल देगा खुदा ….
खत्म कर ये लडाई
बाज आ……..
सम्भल जा अब भी वक्त है…..
रोक अब इस लडाई को…
होश में आ………