युग बदल गया
कलयुग में त्रेतायुग आया,अवध विराजे राम।
दर्शन करने दूर देश से,आते लोग तमाम।
साधु संत सब महिमा गाते,भक्त करें जयकार।
त्रेता जैसी लगे अयोध्या,सजा राम दरबार ।
कुछ आते है निज साधन से, कुछ पैदल दिन रात।
कहते सुनते रामकहानी,रामानंदी गात।
खुश होते हैं भारतवासी,सिया राम के राज ।
त्रेता जैसा हुआ नजारा,धर्म नीति जन काज।
बदल गया कलियुग का चिंतन ,करना खूब विचार।
धन्य जन्म अब राम सहारे,जीवन नौका पार।
युगों युगों से करी प्रतिक्षा,मन्दिर आवे राम।
मिला सौभाग्य नल संवत को,आया पुनः स्वराज।
हिन्दू पीढी गढ़ी कहानी,दिए बहुत बलिदान।
कुछ अज्ञात कार सेवक हैं,सभी देव हनुमान ।
राजेश कौरव सुमित्र