Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Dec 2019 · 2 min read

युगपुरुष

उसको देखा है मैंने रात के अंधेरे में टिमटिमाते दीए की रोशनी की तरह ।
उसको देखा है मैंने किसी खत्म न होती कहानी की तरह ।
उसको देखा है मैंने ऊंची इमारतों से लेकर झोपड़ियों तक ।
देखा उसको मैंने फीकी मुस्कान से लेकर अठखेलियों तक ।
देखा मैंने उसे असमय मुरझाती कलियों की तरह।
जिसे मारकर ठोकरें निकल जाती है मजबूरियों की तरह ।
उसको देखा मैंने जूझते समय के झंझावातों में।
उसको देखा मैंने फंसते नियति के चक्रवातों में।
उसको देखा मैंने अतीत के सुंदर सपनों में ।
और देखा उसे वर्तमान में निष्ठुर होते अपनो में ।
उसको देखा मैंने भविष्य की सार्थक योजनाओं में।
और देखा उसे काल्पनिक निरर्थक भावनाओं में ।
देखा कभी उसको चढ़ते मैंने स्वार्थ की बलिवेदी पर।
और पाया कभी उसे निस्वार्थ त्याग की सीढ़ी पर ।
कभी उठते , फिर गिरते ,फिर संभलते पाया मैंने उसे चलते ।
तो कभी टूटते फिर बिखरते फिर सिमटते पाया मैंने उसको घिसटते।
पाया कभी मैंने उसे इतना शीत जैसे हो हिमखंड।
तो कभी पाया धधकते उसे जैसे हो अग्नि प्रचंड ।
पाया कभी उसे इतना गहरा जैसे हो सागर विशाल ।
पाया कभी उसे इतना ऊंचा जैसे हो पर्वत विकराल ।
फिर भी मुझे लगा वह निष्पाप निष्काम सब कुछ सहता हुआ ।
अपने मनोवेगों को दबाए मूक भावों में प्रकट करता हुआ ।
अर्थ और अनर्थ को स्पष्ट करता हुआ ।
तर्क से कुतर्क को नष्ट करता हुआ ।
न्याय और अन्याय को परिभाषित करता हुआ ।
वाणी से विचार को परिभाषित करता हुआ ।
राजनीति को धर्म से और कूटनीति को कर्म से अलग करता हुआ ।
मानव और दानव के अंतर को स्पष्ट करता हुआ ।
लगता है वह समाहित किए हुए सब शिक्षा ।
परंतु निर्भर है उस पर जो अंतर्निहित करे यह दीक्षा ।
कहलायेगा वहीं इस युग का युगपुरुष ।
वैसे तो बन जाते हैं इस युग में कई महापुरुष ।

Language: Hindi
2 Likes · 7 Comments · 871 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
"आतिशे-इश्क़" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*** तस्वीर....! ***
*** तस्वीर....! ***
VEDANTA PATEL
हर लम्हा
हर लम्हा
Dr fauzia Naseem shad
नदियां जो सागर में जाती उस पाणी की बात करो।
नदियां जो सागर में जाती उस पाणी की बात करो।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
डर का घर / MUSAFIR BAITHA
डर का घर / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
नज़र बूरी नही, नजरअंदाज थी
नज़र बूरी नही, नजरअंदाज थी
संजय कुमार संजू
संस्कारी बड़ी - बड़ी बातें करना अच्छी बात है, इनको जीवन में
संस्कारी बड़ी - बड़ी बातें करना अच्छी बात है, इनको जीवन में
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
निर्धनता ऐश्वर्य क्या , जैसे हैं दिन - रात (कुंडलिया)
निर्धनता ऐश्वर्य क्या , जैसे हैं दिन - रात (कुंडलिया)
Ravi Prakash
" मुशाफिर हूँ "
Pushpraj Anant
అదే శ్రీ రామ ధ్యానము...
అదే శ్రీ రామ ధ్యానము...
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
* सत्य एक है *
* सत्य एक है *
surenderpal vaidya
// सुविचार //
// सुविचार //
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
प्यारी मां
प्यारी मां
Mukesh Kumar Sonkar
3368.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3368.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
■ बधाई
■ बधाई
*Author प्रणय प्रभात*
क्रूरता की हद पार
क्रूरता की हद पार
Mamta Rani
दोहा-
दोहा-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सूरज नहीं थकता है
सूरज नहीं थकता है
Ghanshyam Poddar
"क्रियात्मकता के लिए"
Dr. Kishan tandon kranti
मैं उनके सँग में यदि रहता नहीं
मैं उनके सँग में यदि रहता नहीं
gurudeenverma198
वनमाली
वनमाली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
निर्माण विध्वंस तुम्हारे हाथ
निर्माण विध्वंस तुम्हारे हाथ
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी
प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी
Pt. Brajesh Kumar Nayak
💐प्रेम कौतुक-464💐
💐प्रेम कौतुक-464💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रूप का उसके कोई न सानी, प्यारा-सा अलवेला चाँद।
रूप का उसके कोई न सानी, प्यारा-सा अलवेला चाँद।
डॉ.सीमा अग्रवाल
जिस सनातन छत्र ने, किया दुष्टों को माप
जिस सनातन छत्र ने, किया दुष्टों को माप
Vishnu Prasad 'panchotiya'
फनकार
फनकार
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
उनको घरों में भी सीलन आती है,
उनको घरों में भी सीलन आती है,
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
प्यार के सरोवर मे पतवार होगया।
प्यार के सरोवर मे पतवार होगया।
Anil chobisa
Loading...