या खुदा तू ही बता, कुछ शख़्स क्यों पैदा किये।
गज़ल
या खुदा तू ही बता, कुछ शख़्स क्यों पैदा किये।
हो गया जीना सजा, कुछ शख़्स क्यों पैदा किये।
दीन ओ दुनियां के लिए जो लोग निकले जानवर,
क्या थी हम सबकी खता, कुछ शख़्स क्यों पैदा किये।
आदमी गलती करे तो, हर तरह का दंड है,
इसमें है तेरी रज़ा, कुछ शख़्स क्यों पैदा किये।
इक नहीं हर एक सीने में भयानक दर्द है,
उनको मिलता है मज़ा, कुछ शख़्स क्यों पैदा किये।
एक भी बंदा न ऐसा चाहिए ‘प्रेमी’ तेरा,
है यही शिकवा मेरा, कुछ शख़्स क्यों पैदा किये।
……..✍️ सत्य कुमार प्रेम