बात निकली है तो दूर तक जायेगी
ज़िन्दगी का मुश्किल सफ़र भी
मन हमेशा एक यात्रा में रहा
अर्ज है पत्नियों से एक निवेदन करूंगा
लाख तूफ़ान आए, हिम्मत हारना मत ।
#ਹੁਣ ਦੁਨੀਆ 'ਚ ਕੀ ਰੱਖਿਐ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
मिथ्या इस संसार में, अर्थहीन सम्बंध।
जमाने की नजरों में ही रंजीश-ए-हालात है,
"मैं तैयार था, मगर वो राजी नहीं थी ll
रफ़्ता रफ़्ता (एक नई ग़ज़ल)
दीपावली
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
घट जाएगा शर्तिया, बुरा आदमी एक
श्वासें राधा हुईं प्राण कान्हा हुआ।