यार प्यार कर
******यार प्यार कर(ग़ज़ल)*******
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*बह्र- 2 2 1 2 1 2 2 2 2 1 2 1 2
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रदीफ़:-कर*क़ाफ़िया:-वार,एतबा,
विचार,विहार,पार,प्यार,, उतार,निहार
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आ कर हमें मिलो मेरे यार प्यार कर,
सच कह रहा खड़ा मुझ पर एतबार कर।
कच्ची कली खिली बागों में यहाँ वहाँ,
मस्ती भरी नजर से देखो न वार कर।
दिल की लगी रुलाती रहती सदा हमें,
देखो हमें तनिक तुम चश्मे उतार कर।
हो यूं जगह जगह पर रहते शेखी जता,
तुम सोच तोल कर कुछ तो विचार कर।
बैठी निलय निहारूँ मैं हो गई खफ़ा,
ले चल मुझे यहाँ से नौका विहार कर।
रुक मैं गई नदी बहती सी जुदा जुदा,
ले चल यहाँ जहां से तुम नीर पार कर।
मैं देखती रहूँ मनसीरत खड़ी खड़ी,
तू छोड़ छाड़ कर चल दिया निहार कर।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)