यार नहीं माना
शाइस्ता दिल मेरा बहुत ख़राब है जाना
चिंख़ कर कहते हैं हम दिल मानता नहीं जाना।
वो दिल मेरा उनकी गली में ही घुमा करता है
हर वक़्त दहलीज को ही उनकी चूमा करता है
वो अब इक ख्वाब है आंखों में नाम मुहब्बत है
वो मेरा यार है जिसने कभी मुझे यार नहीं माना ।
~ सिद्धार्थ