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2 Sep 2019 · 1 min read

यार तुम्हारे बिन

किससे मांगु सच्ची राय यार तुम्हारे बिन
मन की व्यथा कही न जाय यार तुम्हारे बिन

मकबूलि का आलम है और है तनहाई
फिकी लगती है टपरीवाली चाय यार तुम्हारे बिन

क्या क्या न याद आए हम क्या क्या तुम्हें बताए
उसकी भी तो कोई खबर न आए यार तुम्हारे बिन

तेरी वो बेवकूफीयां हि तो साद करती थी दिल मेरा
अब यहां हमे कौन हंसाए यार तुम्हारे बिन

ये पिज्जा बर्गर क्या है ये नुडल्स पास्ता क्या है
बहोत दिन हुए समोसा और कचौरी खाए यार तुम्हारे बिन

जरुरतो का हवाला है और नौकरी एक ताला है
ये शहर वो तनहा पिंजरा जहां से हम उड़ ना पाए यार तुम्हारे बिन

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