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22 Feb 2024 · 1 min read

यार जुलाहा…

जिस खला में हूँ बसा
उस जगह न कोई रहा

ख़्वाब से है यही गिला
नहीं किसी के संग मिला

कात दे तमन्ना कोई
उधड़न को मैं लूँ सिला

गिरह कोई भी न लगे
करतब कोई यूँ दिखा

जोखिम साँस का हरदम
रूह को तासीर दिला

सुन ले मेरा अनकहा
इक यार जुलाहा तो मिला।

Language: Hindi
45 Views
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