यार जुलाहा…
जिस खला में हूँ बसा
उस जगह न कोई रहा
ख़्वाब से है यही गिला
नहीं किसी के संग मिला
कात दे तमन्ना कोई
उधड़न को मैं लूँ सिला
गिरह कोई भी न लगे
करतब कोई यूँ दिखा
जोखिम साँस का हरदम
रूह को तासीर दिला
सुन ले मेरा अनकहा
इक यार जुलाहा तो मिला।