यार अमूल्य निधि
***** यार अमूल्य निधि *****
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अज्ञाता जो थी एक साहित्यकार
साहित्यकार का किया तिरस्कार
काव्य भाव का दे कर के हवाला
कर दिया था समूह से बहिष्कार
समूह में सम्मिलित अमूल्य निधि
मिला मित्र स्वरूप सुन्दर उपहार
व्यथित मन की व्यथा को समझा
प्रिय मित्र का दूँ मैं हार्दिक उपहार
व्यक्तिगत वैचारिक आदान प्रदान
हंसी, कहकहे, ठहाकों की फुहार
दिनप्रतिदिन घनिष्ठता थी बढ़ गई
आपसी रिश्तों में खिल गई बहार
मित्रता प्रेमतंदों में बदलने लग गई
सुहाना लगने लग गया जग संसार
पिछले जन्मों का जो लेखा जोखा
सामने आ गया जनता के दरबार
एक दूसरे को सुहाने लग गया था
अपना उनका सुन्दर सा परिवार
मनसीरत अज्ञाता का है गुण गावे
मनभावन मनोरम रम्य दिया यार
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)