यार अब रहने दे
अब तो कुछ मत बोल
यार अब रहने दे
अश्रु नयन से बहते हैं
अब बहने दे
पीर हृदय में अकुलाई
अब सहने दे
महल आस का ढहता है
अब ढहने दे
गही नहीं जो व्यथा कभी
अब गहने दे
अब तो कुछ मत बोल
यार अब रहने दे।
अशोक सोनी
भिलाई ।
अब तो कुछ मत बोल
यार अब रहने दे
अश्रु नयन से बहते हैं
अब बहने दे
पीर हृदय में अकुलाई
अब सहने दे
महल आस का ढहता है
अब ढहने दे
गही नहीं जो व्यथा कभी
अब गहने दे
अब तो कुछ मत बोल
यार अब रहने दे।
अशोक सोनी
भिलाई ।