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23 May 2021 · 3 min read

*** यारों जरा देखो, अब तो जरा सोचो ***

यारों जरा सोचो
अब तो जरा सोचो
रोग ये देखो, आपस में दूरियाँ देखो
गजब की यहां, हुई मजबूरियाँ देखो
दिलो दिमाग का सबके बुरा हाल है?
बहुत कुछ था पास मगर,
अब सबकुछ हुआ कंगाल है l
हो गया है चुप इंसान!
क्यूँ हो गया है चुप ? ये सवाल न पूछो l
यारों जरा देखो….,
अब तो जरा सोचो….!

गर्दिश में है सब सितारे
अकेले में वक्त बिता रे
दुख दर्द में जीना सीख कर,
भले झूठा ही तू मुस्कुरा ले l
अंजाम तय हो रहा,
एक मुकाम हासिल हुआ है l
अंजाम ही ना देखो,
उस मुकाम को भी देखो l
यारों जरा सोचो….
अब तो जरा सोचो….!

माना मिल के भी नही मिले सहारे,
ना आँसुओं से अब तू चिता जला रे l
वक्त की ओ साथी ये भ्रम चाल है l
हरकोई मजबूर और बेहाल है l
ये चाल ना देखो,
मगर हाल तो देखो l
यारों जरा सोचो……,
अब तो जरा सोचो…….!

दान कर करके हाथ क्या रुक जाएंगे?
और मांग मांगकर स्वयं क्या लुट जाएंगे?
किसको था पता कि ऎसे पछताएँगे
अपनों की यादों में यूँ रो रो कर थक जाएंगे
जो कर गए अलविदा, वो ना अब आएंगे…
वो ना अब आएंगे…. वो ना अब आएंगे l

ख्वाब खुशियों के देखे थे,
दिल – ओ – जान भी दे बैठे थे l
क्या पता था कि दिल सारे ये,
कब धड़कना ही रुक जाएंगे!
ये दिल तो देखो
मगर धड़कन भी देखो
यारों जरा सोचो
अब तो जरा सोचो l

झूठ बुशदिल हैं उस जुबान का,
जो बस लाचार करता हमे l
पंखुरी हौसलों की तो है,
पग मगर हैं जमीन में गड़े l
कैसे बेबसी में ऎसी, हम आराम पाएँगे?
जमीन तो देखो
आराम को भी देखो
यारों जरा सोचो
अब तो जरा सोचो !

वो अधिकार शक्ति ही क्या?
जिससे हक हमको ना मिल सके
बात बगियों की करना गुनाह,
फूल ही सब जो मुरझा गए l
साथी इस राष्ट्र में हम कहां आ गए?
वंचित हो रहे सुविधा से, दुख के बादल छा गए l
ये राष्ट्र तो देखो,
वंचित का दुख भी देखो l
यारों जरा सोचो
अब तो जरा सोचो l

ग़र डर रही है दुनिया तो क्या हम डर जाएंगे
कैसे कमजोर उम्मीदों से जीवन जी पाएंगे?
पर्याप्त हवा पानी के बिना सूखे घबराएंगे
और बिन रोजी रोटी के भी भूखे मर जाएंगे l
ये दुनिया तो देखो
रोटी की भूख भी देखो
यारों जरा सोचो
अब तो जरा सोचो l

रहे घूमता हर जहन में ये सवाल
आखिर कब ख़त्म होगा ये बवाल?
एक छोटी सी जीवन की चुनौती थी,
कैसे हो गई ये दुनिया का काल?

ना देखे आनेवाली पीढ़ी ये जंजाल l
रहे सभी सतर्क और तोड़ दे मौत का जाल
यारों बस ना सोचो
आओ मिलकर इसे रोको l

सुख- दुख सबका सामूहिक है
सुरक्षा में नहीं कोई चूक है l
माना कि लक्ष्य बड़ा है l
साहस शक्ति से जुड़ा है l
हिम्मत की सलामी देकर
और जन जन से जय कहकर
डोज वैक्सीन का लेकर
‘कोरोना को मात हम देंगे’
‘वायरस को चित कर देंगे’
डर डर कर नहीं मरेंगे
इसे हम साकार करेंगे
और देश में पुनः भरेंगे
महाविजय हुंकार l
सब भय, चिंता को छोड़े ,
अब लक्ष्य से नाता जोड़े l

यारों अब ना सोचे
आओ मिलकर इसे रोको l

गीत सृजन : राहुल प्रसाद ? 9213823002
इंडियन आर्टिस्ट ग्रुप ? बदरपुर विधानसभा क्षेत्र,
नई दिल्ली-110044.

Language: Hindi
Tag: गीत
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