यारों की वार्ता
भारत की मार्डन महिलाएं
अकेले ठीक नही चाहती करना शादी
कर भी ले तो,
बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती
इसके लिए वो सरोगेसी चाहती
सामाजिक परिवर्तन की नई बयार
कुछ बोलो कुछ लिखो मेरे यार।
संसद मे पचास प्रतिशत की मांग
समाज मे पचास से उपर,
महिलाप्रधान समाज की दरकार
पुरूषों का गया जमाना कुछ तो कहो यार।
मिनिस्टर किसी प्रांत के बोले खिलाफत मे,
मचा बवाल महिला संगठनों की प्रधान
उतरीं मुखालफत में
ट्विटर यूजर भद्र महिला ने लिखा,
सही नही आपका बयान
सिंगल पुरूष बरदास्त
पर सिंगल महिला कतई नहीं।
देशी गर्ल बेबाकी से बोली
कोख है आपके पास,
मेंस्ट्रुअल पेन सहा आपने
नही न ?
तो फिर चुप बैठिए।
अन्य यूजर बोली
उसी प्रांत की जिसके आप
पितृसत्तात्मक सोंच की शिकार,
अपना ओपीनियन रखने वाली महिला को
चुड़ैल दिया जाता करार।
और एक अन्य ने कहा
शादी और मां से आगे भी
शुरू किया है सोचना,
अपने दकियानूसी विचार
रखिए अपने ही पास
वो न पायेंगे आकार।
करेंगी शादी न बनेगी मां
कैसे चलेगी श्रृष्टि ?
चुप क्यो हो ? बोलो यार।
बोलता हूं सुनो यार
संविधान ने दिया समानता का अधिकार
दोनो को दी आजादी,
दबा के रक्खा सालों से
आत्मनिर्भर होकर
फैसले अपने लेने लगी
नही कर पा रहे बरदास्त।
समय के साथ उत्थान जरूरी
अब नहीं पुरूषों की कठपुतली
तो कहने लगे बिगड रही औरत।
सोंच मे खोट और गैर जिम्मेदार
इंडिपेंडेंट हैं फैसले का भी अधिकार,
बच्चे पैदा करने की अब नहीं मशीन
उनका शरीर वो तय करेंगी
क्या करना क्या नहीं ?
अगर ज्वाइंट पेरेंटिंग नहीं
तो अकेले क्यों सहे ?
मदरहुड का बोझ
बदलो अपनी सोंच।
मार्डन इंडिपेंडेंट सरोगेसी
लाखों मे दो चार
समझे मेरे यार ?
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर 9044134297
प्रतियोगिता प्रतिभागी