– यायावर सा घूमना चाहता हु –
– यायावर सा घूमना चाहता हु –
कभी यहा कभी वहा झूमना चाहता हु,
दिनो दिन अपनी प्रतिभा में वृद्धि चाहता हु,
आज यहा तो कल न जाने कहा,
यात्राओं का आनंद लेना चाहता हु,
रोज नित दिवस नई शहर घूमना चाहता हु,
अब तक ऐसी कोई इच्छा न थी,
पर अब जो जगी है इच्छा मन में,
उसको पूरी करना चाहता हु,
अपनी कविता, शेर, शायरी, गजल का आगाज चाहता हु,
भरत भरत की ध्वनि गूंजे मंचो पर,
गहलोत शब्द हो सभी के कंठ पर,
ऐसा मां शारदे से आशीर्वाद चाहता हु,
मिले भरपूर प्रेम श्रोताओं का पांडाल से,
ऐसी मनोकामना रखता हु,
यायावर सा घूमना चाहता हु,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान