याद
मैं तो अब हवा से भी नाराज़ हूॅं,
वो उसकी ख़ुशबू फ़ैलाने क्यूॅं आती है।
उससे ज़ुदा हुए तो ज़माना बीत गया,
पर उसकी याद अब भी जाने क्यूॅं आती है।
टूटे दिल पे मुस्कान क्यूं आती है।
उसकी याद मुझे क्यूं आती है।।
उसके बिन दिन तो गुजरता नहीं।
ना जाने रात आजमाने क्यूं आती है।।