**याद**
जब सावन में झुमके बरसे बदरा ,
दिल को तेरी माधुरी याद आई ।
नाच रहा मोर मदमस्त सावन में,
तेरी बातें वह पुरानी याद आई
देखा जब राह चलते आशिकों को
दिल से तेरी सलामती की फरियाद आई
जब जब उठी काली घटा सावन में,
तेरी जुल्फे वो सुनहरी याद आई ।
बेवक्त वक्त की इन रुसवाईयो मे,
तेरे दिल की धड़कनों से बेवफाई की बु आयी।
जब उठी मैयत तेरे आशिक की जहां से,
तू कब्र पर बेइंतेहा आंसु बहाने आई।