याद है मुझे उसका गुनगुनाना( मातृ दिवस पे विशेष)
याद है मुझे उसका गुनगुनाना
लोरी का आलाप
मुझे झुनझुना हिलाकर बहलाना
चूङियो की खनक और हाथों की थाप।
जो मुझे गहरी नींद सुला देती थी
उसकी गोद मे होता सुखद अहसास
मेरी चिंता मे वह रात भर जागती थी
मेरी माँ मेरे लिये है सदा खास।
कदमों मे इसके जननत
झूठ मूठ का दिखा ती ताँव
ममता की है मूर त
मन मे उमङे प्रेम भाव।
याद है मुझे मेरा रूठ जाना
फिर किसी तरह
मेरी माँ का मुझको मनाना
उम्र रही होगी दस ग्यारह।
मेरी शरा रत उसकी मार
फिर कुछ क्षणो बाद
उसकी आखँ से
आँसुओ का बहना लगातार
आज भी याद है वह प्यार का स्वाद।