याद सावन की
सावन में ए रिमझिम वर्षा
कुछ बीती याद दिलाती है
झूले ,कजरी और टोली वो
फिर से मुझे पास बुलाती है
अरे शिव मंदिर का मेला वो
चहुँ ओर बोलबम का नारा
अरे सुबह सुबह मंदिर आना
बारिश में लगता था प्यारा
ढूँढूँ चंहुओर मिले न कहीं
अब पहले जैसी बातें वो
ना दिन ही रहे पहले जैसे
ना रह गईं अब रातें वो
ना दिखे धूप ना छाँव दिखे
अब पहले के नहीं गाँव दिखे
ना प्रेम दिखे पहले सा कहीं
बस पैसे का ही चाव दिखे
करूँ एक नम्र विनती प्रभु से
वो बीते दिन वापस कर दो
जो कुछ हम सब भुल गए
इक याद बना सबमें भर दो-2