याद सताए है
रह-रहकर याद सताए है
क्यों बेचैनी तड़पाए है
ओढो इस ग़म की चादर को
जो जीना तो सिखलाए है
चुपचाप मिरे दिल में कोई
ख़ामोशी बनता जाए है
क्या कीजै, सब्र का दामन भी
अब हमसे छूटा जाए है
वो दर्द मिला है ‘महावीर’
परवाज़े-तमन्ना जाए है
रह-रहकर याद सताए है
क्यों बेचैनी तड़पाए है
ओढो इस ग़म की चादर को
जो जीना तो सिखलाए है
चुपचाप मिरे दिल में कोई
ख़ामोशी बनता जाए है
क्या कीजै, सब्र का दामन भी
अब हमसे छूटा जाए है
वो दर्द मिला है ‘महावीर’
परवाज़े-तमन्ना जाए है