Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Aug 2024 · 1 min read

*याद रखें वह क्रूर परिस्थिति, जिस कारण पाकिस्तान बना (दो राध

याद रखें वह क्रूर परिस्थिति, जिस कारण पाकिस्तान बना (दो राधेश्यामी छंद )
_________________________
(1)
याद रखें वह क्रूर परिस्थिति, जिस कारण पाकिस्तान बना
हिंदू-हित को आघात लगा, संकट छाया चहुॅं ओर घना
वह दुर्दिन कभी नहीं आए, फिर नहीं पलायन को झेलें
भारत माता के शत्रु नहीं, फिर खेल विभाजन का खेलें
(2)
कमर कसें सब आओ मिलकर, अति भव्य सनातन को चाहें
भारत माता की जय की ही, हों सदा हमारी शुभ राहें
हम ऋषियों की संतानें हैं, यह सत्य हमेशा याद रहे
ऋषि-पुत्रों में आत्मीय-भाव, समता-मूलक संवाद रहे

रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

109 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

होली रहन से खेलऽ
होली रहन से खेलऽ
आकाश महेशपुरी
डर
डर
ओनिका सेतिया 'अनु '
"रंग भले ही स्याह हो" मेरी पंक्तियों का - अपने रंग तो तुम घोलते हो जब पढ़ते हो
Atul "Krishn"
साथी
साथी
अंकित आजाद गुप्ता
हे मन
हे मन
goutam shaw
*वोट हमें बनवाना है।*
*वोट हमें बनवाना है।*
Dushyant Kumar
"दो कदम दूर"
Dr. Kishan tandon kranti
अच्छे कर्मों का फल (लघुकथा)
अच्छे कर्मों का फल (लघुकथा)
Indu Singh
8. Rainbow
8. Rainbow
Ahtesham Ahmad
अगर भटक जाओगे राहों से, मंज़िल न पा सकोगे,
अगर भटक जाओगे राहों से, मंज़िल न पा सकोगे,
पूर्वार्थ
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
जब जब तेरा मजाक बनाया जाएगा।
जब जब तेरा मजाक बनाया जाएगा।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
Ram Mandir
Ram Mandir
Sanjay ' शून्य'
ये ज़िंदगी तुम्हारी है...
ये ज़िंदगी तुम्हारी है...
Ajit Kumar "Karn"
*
*"संकटमोचन"*
Shashi kala vyas
*हटता है परिदृश्य से, अकस्मात इंसान (कुंडलिया)*
*हटता है परिदृश्य से, अकस्मात इंसान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आज जब वाद सब सुलझने लगे...
आज जब वाद सब सुलझने लगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
थोड़ी है
थोड़ी है
Dr MusafiR BaithA
विचलित लोग
विचलित लोग
Mahender Singh
3442🌷 *पूर्णिका* 🌷
3442🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
पंचवक्त्र महादेव
पंचवक्त्र महादेव
surenderpal vaidya
लिख रहे
लिख रहे
Kunal Kanth
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Arvind trivedi
"हृदय " की एक राखी आपके नाम
Rekha Sharma "मंजुलाहृदय"
मैं उसको जब पीने लगता मेरे गम वो पी जाती है
मैं उसको जब पीने लगता मेरे गम वो पी जाती है
कवि दीपक बवेजा
देश से दौलत व शुहरत देश से हर शान है।
देश से दौलत व शुहरत देश से हर शान है।
सत्य कुमार प्रेमी
जब चांदनी रातों में आहट उठाती है
जब चांदनी रातों में आहट उठाती है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
#गांव_के_बियाह
#गांव_के_बियाह
Rituraj shivem verma
भूख
भूख
Neeraj Agarwal
🙅पक्की गारंटी🙅
🙅पक्की गारंटी🙅
*प्रणय*
Loading...