याद में तुमको बसा कर
छंद:रजनी छंद
2122 2122 2122 2
याद में तुमको बसा कर प्यार करती हूँ।
जिन्दगी कुछ इस तरह गुलज़ार करती हूँ ।
ख्वाब में तुम ही बसे हो धड़कनों में तुम,
बंद हैं आँखें मगर दीदार करती हूँ।
नेह तेरा इस तरह से हो गई आवृत,
और कोई भी नहीं श्रृंगार करती हूँ।
दूरियाँ इतनी बढ़ी हम खो गये देखों,
अब नहीं कोई शिकायत यार करती हूँ।
प्रेम बंधन से जुड़ी हर भावना मेरी,
होठ प्यासी है मगर अभिसार करती हूँ ।
नित्य अंतस में भरी पीड़ा विकट भारी,
हूँ विकल पर शुन्य में झनकार करती हूँ।
मूँद कर आँखें सजल तुमको निहारूँ मैं,
इस तरह सपने सभी साकार करती हूँ ।
– लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली