याद नही करता कोई
मैं वो सब्जा़ था जिसे रोंद दिया जाता है
मैं वो जंगल था जिसे काट दिया जाता है
मैं वो दर था जिसे दस्तक की कमी खाती है
मैं वो मंजिल था जहां टूटी सड़क जाती है
मैं वो घर था जिसे आबाद नहीं करता कोई
मैं तो वो था जिसे याद नहीं करता कोई।