याद की मकड़ी
यह खिड़की की जाली में लगे
जाले
किसी के जाने के निशान हैं
वह तो चला गया
उसकी यादें रह गई
खिड़की को कभी खोला होगा और
किया होगा बंद भी
रह गये होंगे कहीं चिपके
उसकी हथेलियों के निशान
एक छापे से
कुछ जाले उतर गये होंगे
कुछ लगे रह गये होंगे
रहने दो अब इन जालों को
मत हटाओ इन्हें
हो सकता है
फिर से
कोई याद की मकड़ी वापिस
आकर इनमें अपना बसेरा
कर ले।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001