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24 Aug 2021 · 1 min read

याद की मकड़ी

यह खिड़की की जाली में लगे
जाले
किसी के जाने के निशान हैं
वह तो चला गया
उसकी यादें रह गई
खिड़की को कभी खोला होगा और
किया होगा बंद भी
रह गये होंगे कहीं चिपके
उसकी हथेलियों के निशान
एक छापे से
कुछ जाले उतर गये होंगे
कुछ लगे रह गये होंगे
रहने दो अब इन जालों को
मत हटाओ इन्हें
हो सकता है
फिर से
कोई याद की मकड़ी वापिस
आकर इनमें अपना बसेरा
कर ले।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
319 Views
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