याद करो उन वीरों को
भारत माँ के सपूतों,
तुम बनो ना कभी कपूतों।
याद करो वो दिवस जरा,
जब वीरों ने जान गंवाई थी।
मत भूलना तुम उन्हें कभी,
जिन्होंने सरताज़ दिलाई थी।
याद रखो ये हैं अपने,
ग़ैरों के पीछे क्यों हो भागते।
उनकी भावनाओं को अपना लो तुम,
रहो न ऐसे गुम – सुम।
ऐसा क्या हो गया,
वैलेंटाइन डे मनाते हो।
उन वीरों की याद,
ज़रा भी न रख पाते हो।
इन पश्चिमी सभ्यताओं के कारण,
क्यों अपने संस्करों को बिसराते हो।
याद करो वे लोग थे,
जिन्होंने अपनों के लिए अपनों को छोड़ा।
सोचो ज़रा क्या हम हैं?
अपने लिए अपनों को छोड़ा।
ये देश है हमारा,
सभ्यता भी हमारी होगी।
इन पश्चिमी में क्या है रखा,
क्यों अपनी मर्यादा न रख पाते हो।
हुआ था घटना पुलवामा,
जो हमने न कभी था सोचा और जाना।
शर्मशार हुई थी मानवता,
जिन्हें दया भी न थी आता।
उनको कैसे भूलेंगे,
गुनाह की परतें खोलेंगे।
था वह दिवस जिस दिन,
उन्होंने शहादत पायी थी।
याद कर लें हम उनको ज़रा,
जिन्होंने सरताज़ दिलाई थी।