गुरुकुल
याद आती है अपने गुरुकुल की , उठते सवेरे-सवेरे२
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हुए ८ वर्ष , लिया प्रवेश अपने गुरुकुल में
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शुरू हो गयी ज्ञान की शिक्षा अपने गुरुकुल में धीरे-२
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स्वयं लग जाते दिनचर्या के कार्यों में धीरे – धीरे
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समय के मूल्य को जाना अपने गुरुकुल में
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अनुशासन में रहना जाना अपने गुरुकुल में
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वेद – पुराण के ज्ञान को जाना अपने गुरुकुल में
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अर्थ – साहित्य को पढ़ना जाना अपने गुरुकुल में
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स्व: में आध्यात्मिकता जाग्रति को जाना अपने गुरुकुल में🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
वितरण, विनियम , उपभोग को जाना अपने गुरुकुल में
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गुरु शिष्य के संबंध को जाना अपने गुरुकुल में
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धर्म संस्कृति की शिक्षा को जाना अपने गुरुकुल में
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विनम्रता , सच्चाई , आत्मनिर्भरता के भाव को जाना अपने गुरुकुल में🌻🌸🌻🌸🌻🌸🌻
ब्रह्मा , विष्णु , महेश को आचार्य के रूप में जाना अपने गुरुकुल में🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
तपोस्थली में सभा सम्मेलन प्रवचनों से अर्जन ज्ञान को जाना अपने गुरुकुल में🌼🌼🌼🌼🌼🌼
याद आती है अपने गुरुकुल की , उठते सवेरे – सवेरे~२॥
रचनाकार – 😇 डॉ० वैशाली A. Verma ✍🏻